निर्मला - Premchand

निर्मला

By Premchand

  • Release Date: 2016-12-13
  • Genre: Fiction & Literature

Description

निर्मला प्रेमचंद का एक बहुपठित उपन्यास है। इस उपन्यास के भीतर प्रेमचंद ने जीवन की करुण कथा कही है। इस उपन्यास के साथ ही प्रेमचंद अपने लेखकीय जीवन-यात्रा में आदर्श से यथार्थ की ओर मुड़ते हैं। जिस यथार्थ की चरम परिणति गोदान है। निर्मला जो कथा नायिका है, उसका जीवन क्या सचमुच नियति के हाथों का खेल है, जो गुणों से संपन्न होने के बावजूद अधोगति को प्राप्त होती है? जो हर मोड़ पर अपयश से बचती है फिर भी कलंक लग जाता है। क्या जीवन में भाग्य का लेखा इतना प्रबल होता है कि इंसान के सद्कर्म उसे नहीं मिटा सकते? नियति इतनी प्रचंड है कि सद्कार्य उसके सामने घुटने टेक दे? ऐसे ही बहुत सारे सवालों के साथ प्रेमचंद ने निर्मला का तानाबाना तैयार किया है। प्रेमचंद सामाजिक जीवन के कथाकार थे। एक समाज, व्यक्ति के निर्माण अथवा विघटन में किस हद तक भूमिका अदा करता है इसका बखूबी चित्रण वे अपनी कथाओं के द्वारा करते हैं। निर्मला की स्थिति-अवस्था के लिये कौन जिम्मेदार है? उसका परिवार, उसकी परवरिश या समाज, उसके लोकोपचार और उसका स्वभाव? ऐसे ही कई सवाल वे पाठकों के लिये छोड़ते हैं। निर्मला स्वभावों से लड़ती हुई जीवन-क्षेत्र में पराजित होती है। जीवन की आहुति में समाज द्वारा पारितोषिक मिलता है- कुल्टा, कलंकनी कुमाता और कुलनाशनी का। निर्मला के माध्यम से प्रेमचंद अपने ही समाज का एक कटु चेहरा प्रस्तुत कर रहे थे।