कर्मभूमि - Premchand

कर्मभूमि

By Premchand

  • Release Date: 2016-08-19
  • Genre: Fiction & Literature

Description

कर्म भूमि प्रेमचंद का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। इस उपन्यास का मूल प्रतिपाद्य सामाजिक सुधार और चेतना है। इस उपन्यास में औपनिवेशिक हिंदुस्तान के भीतर महाजनी सभ्यता की समस्या को उठाया गया है। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ से किसान-मजदूर दोहरे शोषण के शिकार हो रहे थे। एक तरफ अंग्रेजी हुकूमत और दूसरी तरफ उनकी अलम्बर्दारी में फलने-फूलने वाले जमींदार-महाजन। दोहरे शोषण के शिकंजे में फंसा किसान-श्रमिक वर्ग अपने त्राण के लिये क्या करे? उपन्यास का प्रतिनिधि चरित्र अमरकांत इस अधिकार की लड़ाई में अपने को होम करता है। यद्यपि वह अपने ही विचारों में कई बार उलझ जाता है जिससे उसके विचार की गति अवरुद्ध होती है। अमरकांत से ज्यादा सतर्क उसकी पत्नी और दूसरी स्त्री पात्र है। उनके त्याग और दृढ़ निश्चय ने अद्भुत नजीर प्रस्तुत किया है। इस उपन्यास में भी प्रेमचंद सामाजिक समस्यायों के समाधान के लिये एक उच्च आदर्श प्रस्तुत करते हैं। स्त्री-पुरुष प्रेम की मुक्त गांठ खोलते हैं, लेकिन फिर लोक-मर्यादा के लिहाज से गांठ बांध लेते हैं। उपन्यास की यात्रा आदर्श की पगडंडी से शुरू हो कर आदर्श के ही वृहद पथ पर पहुँच जाती है। अंत में ज्यादातर नायक के संघर्षों की जीत होती है और एक शोषण मुक्त समाज-व्यवस्था की अवधारणा के साथ उपन्यास की समाप्ति होती है।