युगस्रष्टा प्रेमचंद परमेश्वर द्विरेफ द्वारा रचित प्रेमचंद के जीवन की प्रसस्ति-काव्य संकलन है। यह पुस्तक पूरे आठ सर्गों में लिखी गई हैं। इस पुस्तक में लेखक ने प्रेमचंद के जीवन एवं उससे भी पूर्व की कथा को उठाया है। तुकबंदी और गीति शैली में पूरे जीवन की झांकी प्रस्तुत की है। प्रेमचंद की बाल्यावस्था, प्रेमचंद की युवावस्था तथा लेखकिये जीवन तथा उसके संघर्ष की कहानी इस पुस्तक का मूल प्रतिपाद्य है। इसके साथ ही उनकी कहानियाँ, कहानियों के विषय, उसके शिल्प और सौन्दर्य का बहुत ही रोचक वर्णन किया है। यह लिखकर लेखक ने पुस्तक का समापन किया है। महान लेखकों की जीवनी लिखी गई हैं और लिखी जाती है। जीवनी लेखन किसी भी महान लेखक को एक लेखकीय श्रधांजलि होती है। हर सचेत लेखक अपने अपने आदर्श लेखक के जीवन को अपने ढंग से उजागर कर अपनी लेखकीय निष्ठा का परिचय देता है। परमेश्वर द्विरेफ ने भी अपने आदर्श लेखक के प्रति आभार अपने ढंग से युगस्रष्टा प्रेमचंद लिखकर किया है। जो कि सही में पठनीय और प्रशंसनीय है।