मानसरोवर भाग-३ प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानियों का संग्रह है। इस संग्रह की ज्यादातर कहानियाँ ऐतिहासिक घटनाओं का साहित्यिक रूप है। अहमदशाह या नादिरशाह का हिंदुस्तान पर आक्रमण इतिहास की सत्य घटना है। इसी प्रकार अरबी बादशाहों की कहानियाँ भी कहीं-न-कहीं इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इसी संग्रह के अंतर्गत कुछ ऐसी कहानियाँ भी है जिसका कथानक नगरीय जीवन है। लेकिन इसके पीछे की हकीकत आडम्बरपूर्ण, मिथ्या जीवनशैली है। विश्वास, उद्धार, निर्वासन, एक आँच की कसर, विचित्र होली आदि इसी श्रेणी की कहानियाँ हैं। प्रेमचंद मनुष्य मनोभाव के गहरे जानकार थे, साथ ही कल्पना भी इतनी पैनी और दूरदृष्टि पूर्ण थी कि समाज का कोना-कोना छान लेते थे। तभी उन्होंने अपनी साहित्यिक-साधना में ऐसे-ऐसे चरित्र की रचना की जो सामाजिक हकीकत तो थी, लेकिन समाज द्वारा ही उनपर पर्दा डाल दिया जाता था। ऐसे-ऐसे व्यवहार-आचरण और कर्मकांडों को उजागर किया, जो जमीनी स्तर पर रोज हो रहे थे या होते हैं लेकिन समाज इन पर भी पर्दा डाले रहता है। इस तरह प्रेमचंद ने समाज में ही समाज के बहुत बड़े हिस्से को उजागर किया जो सदियों से अपनी तथाकथित मर्याद रक्षा में जीवन और जाति को हलकान किये जाते थे। कई बार इन कहानियों को पढ़ कर ऐसा लगता है कि प्रेमचंद ने वर्षों से वंचित वर्ग को वाणी प्रदान की है।