चतुरंग - रवीन्द्रनाथ टैगोर

चतुरंग

By रवीन्द्रनाथ टैगोर

  • Release Date: 2016-12-13
  • Genre: Literary Fiction

Description

चतुरंग रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित, उन्नीसवीं शताब्दी के अंत की बंगाली सामाजिक चेतना और पूर्व की धारणाओं के द्वन्द्व की कथा है। आधुनिक भारत में धार्मिक जागृति, सामाजिक चेतना और साहित्यिक-सांस्कृतिक बदलाव की शुरुआत बंगाल से होती है। चतुरंग की कथा भूमि के केंद्र में नास्तिक-आस्तिक का द्वन्द्व भी है। जब ईश्वर की आड़ में धर्म का मनमाना इस्तेमाल और कर्मकांड के अनेक तरीके बढ़ गये समाज में, तो कुछ चेतनाशील लोगों ने कर्मकांडों और रूढियों के खिलाफ आवाज उठाई। इसीके परिणाम स्वरूप ब्रह्मसमाज, प्रार्थनासमाज, आर्यसमाज जैसी समाज सुधार संस्थाओं का उदय हुआ। चेतन-अचेतन, नास्तिक-आस्तिक जैसी बहसे भी इन्हीं संस्थाओं में होती थीं। चतुरंग में छुआ-छूत की समस्या पर भी गौर किया गया है। कथा के दूसरे भाग में कथा नायक शचीश और दूसरे पात्र श्रीविलास और दामिनी के बीच जो चर्चाएँ होती है वह जीवन-जगत के बारीक सवालों से पैदा हुई चर्चाएँ हैं। आखिर मनुष्य का जीवन से वास्ता क्या है? समाज जीवन से क्या अपेक्षा रखता है? वैराग्य क्या है? समाज और जीवन में वैराग्य के लिए क्या स्थान है? वह कौन सी लालसाएं का जो सामाजिक को वैरागी और वैरागी को सामाजिक दायरे में आने-जाने के लिए विवश करती है। चतुरंग के माध्यम से विश्व कवि ने इंसान के स्वभाव की गहरी पड़ताल की है। और शीर्षक के अनुकूल जीवन के वैविध्य और बहुरंग को उतारने की कोशिश की है।